जीवन का एक सीधा सा नियम है और वो ये कि *अगर अनुशासन नहीं तो प्रगति भी नहीं।।*
अनुशासन में बहकर ही एक नदी सागर तक पहुँचकर सागर ही बन जाती है।
अनुशासन में बँधकर ही एक बेल जमीन से उठकर वृक्ष जैसी ऊँचाई को प्राप्त कर पाती है
और अनुशासन में रहकर ही वायु फूलों की खुशबु को अपने में समेटकर स्वयं भी सुगंधित हो जाती है और चारों दिशाओं को सुगंध से भर देती है।
पानी अनुशासन हीन होता है तो बाढ़ का रूप धारण कर लेता है!
हवा अनुशासन हीन होती है तो आँधी बन जाती है!
अग्नि अगर अनुशासन हीन हो जाती है तो महा विनाश का कारण बन जाती है।
*ऐसे ही अनुशासनहीनता स्वयं के जीवन को तो विनाश की तरफ ले ही जाती है साथ ही साथ दूसरों के लिए भी विनाश का कारण बन जाती है।।*
गाड़ी अनुशासन में चले तो सफर का आनंद और बढ़ जाता है। *इसी प्रकार जीवन भी अनुशासन में चले तो जीवन यात्रा का आनंद और बढ़ जाता है। जीवन का घोड़ा निरंकुशता अथवा उच्छृंखलता का त्याग करके निरंतर प्रगति पथ पर अथवा तो अपने लक्ष्य की ओर दौड़ता रहे उसके लिए अपने हाथों में अनुशासन रुपी लगाम का होना भी परमावश्यक हो जाता है..!!*
*अनुशासन में रहकर कर्म करने से जीवन में बहुत कुछ पा सकते हैं!*
✍️ .....एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद दे रहा था। अचानक व्यापारी के हाथ से छूटकर शहद का बर्तन गिर पड़ा। बहुत-सा शहद भूमि पर ढुलक गया। जितना शहद व्यापारी उठा सकता था, उतना उसने ऊपर-ऊपर से उठा लिया; लेकिन कुछ शहद भूमि में गिरा रह गया।
बहुत-सी मखियाँ शहद की मिठास के लोभ से आकर उस शहद पर बैठ गयीं। मीठा-मीठा शहद उन्हें बहुत अच्छा लगा। जल्दी-जल्दी वे उसे चाटने लगीं। जब तक उनका पेट भर नही गया, वे शहद चाटने में लगी रहीं।
जब मक्खियों का पेट भर गया, उन्होंने उड़ना चाहा। लेकिन उनके पंख शहद से चिपक गये थे। उड़ने के लिये वे जितना छटपटाती थीं, उतने ही उनके पंख चिपकते जाते थे। उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता था।
बहुत-सी मक्खियाँ शहद में लोट-पोट होकर मर गयीं। बहुत-सी पंख चिपकने से छटपटा रहीं थीं। लेकिन दूसरी नयी-नयी मक्खियाँ शहद के लोभ से वहाँ आती-जाती थीं| मरी और छतपटाती मक्खियों कू देखकर भी वे शहद खाने का लोभ छोड़ नहीं पाती थीं।
मक्खियों की दुर्गति और मुर्खता देखकर मन में एक चिंतन उठता है कि- ‘जो लोग लोभ में पड़ जाते हैं, वे इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। मुख के स्वाद का थोड़ी देर का सुख उठाने के लोभ से वे अपना स्वास्थ्य नष्ट कर देते हैं, रोगी बनकर छटपटाते हैं और शीघ्र मृत्यु के ग्रास बनते हैं।’
वास्तव में मक्खी में तो बुद्धि अथवा विवेक नहीं परंतु मनुष्य एक अत्यंत विवेकशील प्राणी होते हुए भी अपनी इंद्रियों का गुलाम बना बैठा है। सत्य ज्ञान की अनुपस्थिति होने के कारण वह पांचों विकारों की जंजीरों से बंधा हुआ हर पल तड़पता है, छटपटाता है, और अंत में एक निरर्थक जीवन जीते हुए प्राण त्याग देता है। जबकि सच्ची सद्गति अथवा लिबरेशन तो विकारों को त्यागने में ही है !!
सदा याद रहे कि आप एक शांत और प्रेम स्वरूप परमआत्मा के ही अंशी हैं!
एक सेवक ने अपने गुरू जी से विनती की कि, *मैं सत्संग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला।*
गुरु जी ने प्यार से पूछा- *बेटा तुम्हे क्या चाहिए ?*
सेवक बोला, *मैं तो बहुत ही ग़रीब हूँ दाता।*_
गुरु जी ने हँस कर पूछा- *बेटा तुम्हें कितने पैसों की ज़रूरत है?*
सेवक ने विनती की कि *आप बस इतना दे दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत (इज्जत) हो।*
गुरु जी ने पूछा *और ज़्यादा की भूख तो नहीं है न बेटा ?*_
सेवक हाथ जोड़ के बोला, *नहीं जी, बस इतना ही बहुत है।*
गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा *मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ! जहाँ ये बुझ जाये, वहाँ खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना। अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना। और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना। लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फँस जाओगे!*
सेवक बहुत खुश हो कर पूरब की ओर चल पड़ा। जहाँ मोमबत्ती बुझ गई, वहाँ खोदा *तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला।*
*बहुत खुश हुआ और गुरु जी का शुक्राना करने लगा!*
थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जा कर ऐश करूँगा। *मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा हीरे मोती मिल गये।*
खुशी बहुत बढ़ गई, मग़र मन की भूख भी बढ़ गई। तीसरी मोमबत्ती जलाई और *उत्तर दिशा में चला वहाँ से भी बेशुमार धन मिल गया।*
सोचने लगा के कि *चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा जाने के लिये गुरू जी ने मना किया था। सोचा, शायद वहाँ से भी क़ोई अनमोल चीज़ मिलेगी!*
मोमबत्ती जलाई और चला दक्षिण दिशा की ओर, *जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से ख़ुदाई करने लगा। खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गया।* अंदर एक और दरवाजा दिखाई दिया उसे खोल के अन्दर चला गया। अँधेरे कमरे में उसने देखा, *एक आदमी चक्की चला रहा है।*
सेवक ने पूछा, *भाई तुम कौन हो?*
चक्की चलाने वाला बहुत खुश हो कर बोला, *ओह ! आप आ गये?* यह कह कर उसने वो चक्की गुरू के सेवक के आगे कर दी
सेवक कुछ समझ नहीं पाया और सेवक चक्की चलाने लगा।
सेवक ने पूछा, *भाई, तुम कहाँ जा रहे हो? अपनी चक्की सम्भालो!*
उस आदमी ने कहा - *मैने भी अपने गुरु का आदेश नहीं माना था और लालच के मारे यहाँ फँस गया था! बहुत रोया, गिड़गिड़ाया!
तब मेरे गुरु जी ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, *बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहाँ आयेगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगी! आज तुमने भी अपने गुरु का आदेश नहीं माना! *अब भुगतो।*
सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगा। वो आज भी इंतज़ार कर रहा है कि *कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आयेगा! तभी उसकी मुक्ति होगी।*
इसलिय,
*गुरु आज्ञा में रहें! खुश रहें! भजन सुमिरन करते रहें!*
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये ।
जो गुरु चाहे सोयि सोयि करिये॥
गुरु चरनन रज मस्तक दीजे ।
निज मन बुद्धि शुद्ध कर लीजे।
आँखिन ज्ञान सुअंजन दीजे ।
परम सत्य का दरशन करिये॥
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥
गुरु अँगुरी दृढ़ता से धरिये ।
साधक नाम सुनौका चढिये।
खेवटिया गुरुदेव सरन में ।
भव सागर हँस हँस के तरिये॥
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥
गुरु की महिमा अपरम्पार ।
राम धाम में करत विहार।
ज्योति स्वरूप राम दरशन को ।
गुरु के चरन चीन्ह अनुसरिये॥
प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में एक विचित्र राजा रहता था। उस राजा की एक बड़ी ही अजीब आदत थी। जब भी नगर में कोई साधू या सन्यासी आता था तो वह उसे बुलाकर पूछता था कि – *“गृहस्थ बड़ा या सन्यासी?”*
जो भी बताता कि गृहस्थ बड़ा है। वह राजा उससे कहता था कि – *“तो फिर आप सन्यासी क्यों बने? चलिए गृहस्थ बनिए!”* इस तरह वह उस सन्यासी को भी गृहस्थ बनने का आदेश देता था।
जो बताता कि *सन्यासी बड़ा है।* वह उससे प्रमाण मांगता था। जो यदि वह प्रमाण न दे सके तो *वह उसे भी गृहस्थ बना देता था।* इस तरह कई संत आये और उन्हें सन्यासी से गृहस्थ बनना पड़ा।
इसी बीच एक दिन नगर में एक महात्मा का आगमन हुआ। उसे भी राजा ने बुलाया और अपना वही पुराना प्रश्न पूछा – *“गृहस्थ बड़ा या सन्यासी?”*
महात्मा बोले – *“राजन! न तो गृहस्थ बड़ा है, न ही सन्यासी, जो अपने धर्म का पालन करें। वही बड़ा है।”*
राजा बोला – *“अच्छी बात है। क्या आप अपने कथन को सत्य सिद्ध कर सकते है?”*
महात्मा ने कहा – *“अवश्य! इसके लिए आपको मेरे साथ चलना होगा।”* राजा महात्मा के साथ चलने के लिए तैयार हो गया।
दूसरे ही दिन दोनों घूमते – घूमते दूसरे राज्य निकल गये। उस राज्य में राजकन्या का स्वयंवर हो रहा था। दूर – दूर के राजा – राजकुमार आये हुए थे। बड़े ही विशाल उत्सव का आयोजन किया हुआ था। राजा और महात्मा दोनों उस उत्सव में शामिल हो गये।
स्वयंवर का शुभारम्भ हुआ। राजकन्या राजदरबार में उपस्थित हुई। वह बड़ी ही रूपवती और सुन्दर थी। सभी राजा और राजकुमार स्तब्ध होकर उसे देख रहे थे और मन ही मन उसे पाने की कामना कर रहे थे।
राजकन्या के पिता का कोई वारिस नहीं था। इसलिए महाराज राजकन्या द्वारा स्वयंवरित राजकुमार को ही अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित करने वाला था।
राजकुमारी अपनी सखियों के साथ राजाओं के बीच घुमने लगी। वहाँ उपस्थित सभी राजाओं को देखने के पश्चात भी उसे कोई पसंद नहीं आया। राजा निराश होने लगे। राजकुमारी के पिता भी सोचने लगे कि स्वयंवर व्यर्थ ही जायेगा, क्योंकि राजकुमारी को तो कोई वर पसंद ही नहीं आया।
तभी वहाँ एक तेजस्वी सन्यासी का आगमन हुआ। सूर्य के समान उसका चेहरा कांति से चमक रहा था। *तभी राजकुमारी की दृष्टि उस युवा सन्यासी पर पड़ी। देखते ही राजकुमारी ने अपनी वरमाला उसके गले में पहना दी।*
अचानक हुए इस स्वागत से वह युवा सन्यासी अचंभित हो गया। उसने तुरंत वस्तुस्थिति को समझा और तत्क्षण उस माला को अपने गले से निकालते हुए कहा – *“हे देवी! क्या तुझे दीखता नहीं! मैं एक सन्यासी हूँ। मुझसे विवाह के बारे में सोचना तेरी भूल है।”*
तभी राजा ने सोचा – *“लगता है यह कोई भिखारी है जो विवाह करने से डर रहा है।”* उन्होंने अपनी घोषणा दुबारा दोहराई – *“हे युवक! क्या तुम्हें पता भी है। मेरी पुत्री से विवाह करने के बाद तुम इस सम्पूर्ण राज्य के मालिक हो जाओगे? क्या फिर भी तुम मेरी पुत्री का परित्याग करोगे?”*
सन्यासी बोला – *“राजन! मैं सन्यासी हूँ और विवाह करना मेरा धर्म नहीं है। आप अपनी पुत्री के लिए कोई अन्य वर देखिये।”* इतना कहकर वह वहाँ से चल दिया। किन्तु वह युवक राजकुमारी के मन में बस चूका था। उसने भी प्रतिज्ञा की कि *“मैं विवाह करूंगी तो उसी से अन्यथा अपने प्राण त्याग दूंगी।”* इतना कहकर वह भी उसके पीछे – पीछे चली गई।
वह राजा और महात्मा जो यह वृतांत देख रहे थे। उनमें से महात्मा ने कहा – *“चलो! हम भी उनके पीछे चलकर देखते है, क्या परिणाम होता है?”* वह दोनों भी राजकुमारी के पीछे – पीछे चलने लगे।
चलते चलते वह एक घने जंगल में पहुँच गये। तभी वह युवा सन्यासी तो कहीं अदृश्य हो गया और राजकुमारी अकेली रह गई। घने जंगल में किसी को न देख राजकुमारी व्याकुल हो उठी। तभी यह राजा और महात्मा उसके पास पहुँच गये और उन्होंने राजकुमारी को समझाया। यह दोनों उसे उसके पिता के पास छोड़ने के लिए ले जाने लगे।
वह जंगल से बाहर निकले ही थे कि अँधेरा हो गया। सर्दी की काली अंधियारी रात थी। भटकते – भटकते यह तीनो एक गाँव में पहुंचे। यह गाँव के चौपाल पर जाकर बैठ गये। बहुत सारे लोग वहाँ से गुजरे लेकिन किसी ने इन ठण्ड से ठिठुरते मुसाफिरों का हाल तक नहीं पूछा।
तभी वहाँ से एक गाड़ीवान गुजरा। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खेत से घर आ रहा था। उसने देखा कि *वह तीनों ठण्ड से ठिठुर रहे है।* वह उनके पास गया और पूछताछ कि *तो महात्मा ने भटके हुए मुसाफ़िर बता दिया।*
किसान बोला – *“हे अतिथिदेव! अगर आप चाहे तो आज रात मेरे घर ठहर सकते है।”* वह उनको घर ले गया। भोजन की पूछी और भोजन करवाया। उस दिन उनके घर में ज्यादा अनाज नहीं था। अतः किसान और उसकी पत्नी ने अपने हिस्से का भोजन अतिथियों को करवा दिया और स्वयं भूखे ही सो गये।
सुबह हुई। राजकन्या को उसके पिता के पास छोड़कर राजा और सन्यासी दोनों वापस अपने नगर को चल दिए।
महात्मा ने राजा से कहा – *“देखा राजा! राजकन्या और राज्य को छोड़ने वाला वह सन्यासी अपनी जगह बड़ा है और हमारे अतिथि सत्कार के लिए स्वयं भूखा सोने वाला वह गृहस्थ किसान अपनी जगह बड़ा है।*
*एक तरफ सन्यासी ने राज, वैभव और रमणी का तनिक भी मोह न करके अपने धर्म का पालन किया है, इसलिए वह निश्चय ही महान है।* *दूसरी तरह उन दंपति ने अपना व्यक्तिगत स्वार्थ न देखकर अतिथिसेवा को प्रधानता दी, इसलिए वह दोनों भी निश्चय ही महान है।”*
इसलिय -
*“ किसी भी देश, काल और परिस्थिति में अपने धर्म – कर्तव्य का पालन करने वाला मनुष्य ही बड़ा होता है। फिर चाहे वह गृहस्थ हो या सन्यासी, कोई फर्क नहीं पड़ता।”*
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे... उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... % से हमारा कभी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ है..ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी दोस्त के साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....
🥸😎 स्कूल में सर के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे... मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला है इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए😀......
😜बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...
😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने भी दी नहीं.....इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार एक हाथ बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
दिवाली में लोंगी पटाखों की लड़ को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...
😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....वह दोस्त कहां खो गए वह बेर वाली कहां खो गई....वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..
😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...
🙃 कपड़ों में सिलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन क्या था हमें मालूम ही नहीं...हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदत कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,
😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम पर हमारा भी एक जमाना था
वैसे तो स्वस्थ रहने लिए कब खाए कैसे खाए ये बताने के लिए टीवी पेपर वाले तैयार रहते है लेकीन कब पीए कैसे पीए कोई नही बताता ।*
😳😳😳😳😳
चुंकी आप हमारे मित्र है इसलिए चलिए हम ही बता दें :-----
😊😊😊😊😊
शराब पीने का तरीका...👌👌👌
🥃शौक बड़ी चीज है और शौक को बेहतर तरीके से किया जाये तो ही सबसे अच्छा है, क्योंकि अच्छे से जियेंगे तभी तो पियेंगे।👍🏻
तो आइये जानते हैं कि, 🥃 शौक कैसे फरमाएं ?
😜😜😜😜
1) पीने से पहले कुछ खा लेना चाहिए। भूलकर भी खाली पेट ना पियें।
😳😳
2) ब्रान्ड का ध्यान जरूर रखें।
जैसे - 100 Piper"s, Chivas Regal या बजट के हिसाब से Blenders Pride, Royal Stag बस, इससे नीचे ना जाएं।
😳
3) पानी ही सबसे बढ़िया है, सोडा या कोल्ड ड्रिंक को दूर ही रखें, wine और soda लीवर को परेशान कर सकते हैं।
😳😳😳😳
4) अगर आप 30ml का peg 🥃बनाते हैं तो 50 या 60ml तक पानी डालें। ज्यादा पानी से taste कड़वा हो जाएगा, साथ में यूरिन के साथ बॉडी से ज्यादा मात्रा में पानी बाहर निकल जायेगा जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
😳😳😳😳😳
5) पीते समय light music सुनें। जैसे - मेहंदी हसन साहब, गुलाम अली, जगजीत की ग़ज़लें या जो भी आप पसंद करते हैं।
😛😛😛
अगर शादी या पार्टी में हैं तो बात अलग है। वैसे शादी मे नागिन डांस सबसे अच्छा माना गया है ।
😜😜😜😜😜
6) 🥃के साथ चखने में खट्टी चीजें कभी ना लें क्योंकि wine एसिडिक nature की होती है और खट्टी चीजें बॉडी में एसिड को बढ़ा देती हैं।
आप 🥒खीरा ले सकते हैं,हल्के मसाले में भुना चिकन 🍗ले सकते हैं, पनीर , काजू आदि।
भूलकर भी दही, रायता ना लें क्योंकि ये भी एसिड को बढ़ाते है
😊😊😊😊
7) आराम से पिएं, प्यार से 🥃पेग बनाएं। जो भी आप discuss कर रहे हैं उसका स्तर बनाएं रखें।
😛😛
8) पीने के अगले दिन आप आधा नींबू, आधा चम्मच शहद पानी में डालकर🍹पी लें। यह शरबत आपके बॉडी के सारे टॉक्सिन बाहर निकाल देगा।👍🏻
9) maximum 4 पेग🥃 पी सकते हैं, ज्यादा मात्रा में ना लें।
😛😛😜
दोस्तों अपना ध्यान रखें क्योंकि अच्छी health रहेगी तभी लम्बा जियोगे औऱ पियोगे...पीते रहोगे।🍺🥃🍷
😜😜😜😜
(शौक फरमाते हैं तो यह msg आपके लिए है अगर नहीं फरमाते हैं तो फॉरवर्ड कर दें उन्हें जो शौक 🥃 रखते हैं)
😛😜😛😜
नोट:- मै बैठूंगा जरूर महफ़िल में, पर पीऊंगा नही....!
मेरा ग़म मिटा दे, इतना शराब में दम नही....!!
ऐसा बोलने वालों से सावधान .......
ये लोग सारा पनीर और सलाद खा जाते हैं ....!!
आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा--"सर, मैंने हर बैठक में आपके द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है।"
आइंस्टीन हैरान !!!
उन्होंने कहा- "ठीक है, अगले आयोजक मुझे नहीं जानते।आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बनूंगा।
ऐसा ही हुआ, बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया।और भाषण देने लगा...
उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं।
उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा - "सर, क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं ?"
असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा !!!
इस बार वाहन चालक पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वे हैरान रह गए...
ड्राइवर ने जवाब दिया- "क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई ?
मेरे ड्राइवर से पूछिए,---वह आपको समझाएगा ।" 😎
नोट : "यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी..!!!"
🙏😄
एक सज्जन फिजीशियन के यहां हेल्थ चेकअप करवाने पहुंचे।
नम्बर आया तो डॉक्टर ने अन्दर बुलवाया। फिर प्रोफेशनल अंदाज में सवाल किया- हाँ बताइये! क्या समस्या है?
"डॉ साब, कई दिन से तबियत कुछ ठीक नही रहती है।
"भूख लगती है?"
"भूख तो लगती है डॉ साब क्योंकि खुद ही Liv 52 लेनी शुरू की है।"
"फीवर वगैरह तो नही रहता?""
"बुखार.... परसों थोड़ा बुखार था जरूर लेकिन 650 mg Tab Calpol ली थी तो... उतर गया!"
"अच्छा। ब्लड टेस्ट लिख देता हूँ, करवा लीजिये!"
"होल बॉडी चेकअप खुद ही करवाये हैं सोमवार को.... हीमोग्लोबिन 12 से थोड़ा कम निकला है... आयरन की गोली ले रहे हैं।"
"अच्छा! वायरल वगैरह तो नही हुआ इस बीच?"
"हुआ था पिछले महीने। 5 दिन Azithromycin 500 mg लिए, ठीक हो गया।"
"गले में खराश वगैरह है क्या अभी? जीभ निकालिये!"
"आsss (जीभ निकालकर) ... खराश थी लेकिन Montek LC ले लिए तीन दिन, सही हो गयी।"
डॉ- "अच्छा" (टार्च बन्द कर के)- "थोड़ा टहला कीजिये।"
"रोज सुबह तीन किमी की मॉर्निंग वॉक करते हैं।
फिर लौटकर आधे घण्टे योग-प्राणायाम, तत्पश्चात दलिया, स्प्राउट का हल्का नाश्ता करते हैं।
लन्च में तीन चपाती और दाल, शाम में हल्का स्नैक और रात में दो रोटी और दही या हरी सब्जी।"
फिर डॉक्टर ने स्टेथस्कोप उठाया तो मरीज बोला - "चेकअप कर रहे हैं क्या? क्या दिक्कत है डाक साब??"
डॉक्टर-
आप तो अपना stethoscope वगैरह लाये नही होंगे..... लेकिन अनुभव है आपको! थोड़ा मेरा चेकअप कर दवा लिख दीजिए आज सीने में बहुत दर्द हो रहा है, बड़ी मेहरबानी होगी!"
व्यक्ति :- अगर कोरोना निगेटिव आया तो ?
डॉक्टर :- मास्क लगाओ, सोशल डिस्टेंसिंग रखो ।
व्यक्ति :- अगर पॉज़िटिव आया तो ?
डॉक्टर :- तो भी यही करना है ।
व्यक्ति :- पोज़िटिव हो तो कहां रहना है ?
डॉक्टर :- घर पर ।
व्यक्ति :- और निगेटिव हो तो ?
डॉक्टर :- तो भी घर पर ।
व्यक्ति :- अगर निगेटिव आया तो क्या लें ?
डॉक्टर :- विटामिन बी, सी, हल्दी वाला दूध इम्युनिटी के लिए ।
व्यक्ति :- अगर पॉज़िटिव आया तो ?
डॉक्टर :- तो भी यही लेना है ।
व्यक्ति :- जब दोनों में एक ही करना है तो टेस्ट क्यों करवायें ?
डॉक्टर :- अजीब हो, टेस्ट के बिना पता कैसे चलेगा कि पॉज़िटिव हो या नेगेटिव !
😝😝😝🙃😂😂😂
आप चाहे इसे मजाक समझिए
पर
सच्चाई यही है ।
😂😂😂
गणित के एक शिक्षक घूमने गए !! शाम के समय एक रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा खाने चले गए !! उन्होंने मेनू देखकर एक 9 इंच के पिज़्ज़ा का आर्डर दे दिया !! कुछ देर बाद वेटर 5 - 5 इंच के दो गोल पिज़्ज़ा लेकर गुरूजी के सामने उपस्थित हुआ और कहा कि sir ! 9 इंच का पिज़्ज़ा उपलब्ध नहीं है , इसलिए आपको 5 - 5 इंच के दो पिज़्ज़ा दिए जा रहे हैं , जिससे कि आपको 1 इंच पिज़्ज़ा Extra फ्री में मिल रहा है ! गणित शिक्षक जी ने बड़े प्यार से वेटर से रेस्टोरेंट के मालिक को बुलाने के लिए कहा !!
जब रेस्टोरेन्ट का मालिक आया तो गुरूजी ने उससे बड़े प्यार से पूछा कि आप कितने पढ़े हैं ? मालिक ने कहा Sir ! I am post graduate. गुरूजी ने फिर पूछा कि Maths कहाँ तक पढ़ा है ? मालिक ने कहा - Sir ! Graduation तक !!
तब गुरूजी ने कहा कि क्या आप मुझे बता सकते हैंं कि Maths में एक Circle का क्षेत्रफल निकालने का क्या फार्मूला है ?
मालिक ने कहा - Sir "πr²"
गूरूजी ने कहा - OK
आगे उन्होंने कहा - Now where π = 3.142857 and r is radius of the Circle.
मैंने आपको 9 इंच Diameter के पिज़्ज़ा का order दिया था , जिसका क्षेत्रफल फार्मूला के अनुसार 63.64 Square inch होता है ! क्या में सही हूँ ?
मालिक ने कहा - जी ! बिलकुल सहीं हैं !
अब गुरूजी ने आगे कहा कि आपने मुझे 5-5 इंच के दो पिज़्ज़ा ये कह कर दिए हैं कि आपको 1 इंच पिज़्ज़ा फ्री दिया जा रहा है , अब आप 5 इंच के एक पिज़्ज़ा का Area निकालिये !!
Area निकाला गया - जो निकला " 19.64 Square इंच "
यानी 2 पिज़्ज़ा का एरिया 39.28 Square इंच !!
अब गुरूजी ने कहा कि अगर आप मुझे 5 इंच का एक तीसरा पिज़्ज़ा और भी देते हैं , तब भी मैं घाटे में ही रहूँगा !! और आप कह रहे हैं कि मुझे 1 इंच पिज़्ज़ा फ्री दिया जा रहा है!!
रेस्टोरेंट का मालिक नि:शब्द !! बेचारे से कोई उत्तर देते नहीं बना !! अंत में उसने गुरूजी को 5-5 इंच के 4 पिज़्ज़ा देकर अपनी जान छुड़ाई !!
# कृपया शिक्षकों को कभी भी under estimate ना करें #
एक दिन एक बहुत बड़े कजूंस सेठ के घर में कोई मेहमान आया!!
कजूंस ने अपने बेटे से कहा,
आधा किलो बेहतरीन मिठाई ले आओ। बेटा बाहर गया और कई घंटों बाद वापस आया।
😊😊
कंजूस ने पूछा मिठाई कहाँ है।
बेटे ने कहना शुरू किया-" अरे पिताजी, मैं मिठाई की दुकान पर गया और हलवाई से बोला कि सबसे अच्छी मिठाई दे दो। हलवाई ने कहा कि ऐसी मिठाई दूंगा बिल्कुल मक्खन जैसी।
फिर मैंने सोचा कि क्यों न मक्खन ही ले लूं। मैं मक्खन लेने दुकान गया और बोला कि सबसे बढ़िया मक्खन दो। दुकान वाला बोला कि ऐसा मक्खन दूंगा बिल्कुल शहद जैसा।
मैने सोचा क्यों न शहद ही ले लूं। मै फिर गया शहद वाले के पास और उससे कहा कि सबसे मस्त वाला शहद चाहिए। वो बोला ऐसा शहद दूंगा बिल्कुल पानी जैसा साफ।
तो पिताजी फिर मैंने सोचा कि पानी तो अपने घर पर ही है और मैं चला आया खाली हाथ।
कंजूस बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को शाबासी दी। लेकिन तभी उसके मन में कुछ शंका उत्पन्न हुई।
"लेकिन बेटे तू इतनी देर घूम कर आया। चप्पल तो घिस गयी होंगी।"
"पिताजी ये तो उस मेहमान की चप्पल हैं जो घर पर आया है।"
बाप की आंखों मे खुशी के आंसू आ गए ।
🤣🤣🤣😝😝😝😁😄😀🤣😆😆😃😃😆😆😅😅😅😅
एक इंटरव्यू चल रहा था...
नौकरी पहले ही बॉस के साले के लिये फिक्स हो चुकी थी, लेकिन दिखावे के लिये इंटरव्यू तो लेना ही था !!!
इसलिये सबसे एक ऐसा सवाल पूछा जा रहा था, जिनका कोई जवाब संभव ही नहीं था...
एक के बाद एक केंडीडेट आ रहे थे, जा रहे थे...फिर "मियां मसलुद्दीन" की बारी आयी...
इंटरव्यू लेने वाला -- आप नदी के बीच एक बोट पर हैं और आपके पास दो सिगरेट के अलावा कुछ भी नही है...आपको उसमें से एक सिगरेट जलानी है... कैसे जलाओगे ???
मसलुद्दीन भाई बड़ा ही सीरियसली सोचने के बाद बोला My dear हजरात !!!
इसके तीन चार सोल्युशन हो सकते हैं...
इंटरव्यू लेने वाले को बहुत आश्चर्य हुआ कि जिस सवाल का एक भी जवाब नहीं हो सकता, उसके तीन-चार जवाब कहां से आ गये...
उसने उतावला होकर बोला बताओ...
मसलुद्दीन भाई का पहला जवाब ...एक सिगरेट पानी में फेंक दो, then boat will become lighter(हल्की),
और "lighter" से आप सिगरेट जला सकते हैं...
इंटरव्यू लेने वाला Shocked !!!
अब अपने चतुर मसलुद्दीन भाई का दूसरा खतरनाक जवाब --
या फिर आप किसी एक सिगरेट को ऊपर उछाल दो और फिर उसे Catch करो...
वो कहावत तो सुनी ही होगी कि Catches win the Matches (सलाई)...
अब ये जो सलाई आपने जीता, उससे दूसरा सिगरेट आप आसानी से जला सकते हो...
इंटरव्यू लेने वाला बेहोश होते-होते बचा...
तभी मसलुद्दीन भाई ने उनकी तंद्रा तोड़ते हुए कहा -- ओ मेरे मोहतरम, अभी तो एक निहायत ही रोमांटिक जरिया और है...
अपनी हथेली में थोड़ा पानी लीजिए और उसे बूँद-बूँद जमीन पर गिराइए...गौर करिएगा मोहतरम इन बूँदों के गिरने की आवाज पर...
टिप टिप टिप टिप !!!
इंटरव्यू लेने वाला भारी टेंशन में बोला -- उससे क्या होगा मसलुद्दीन साब ???
मसलुद्दीन भाई बोले -- मोहतरम,
आपने वो गाना नही सुना है क्या ???
"टिप-टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई"...
अब इस आग से आप अपनी सिगरेट जलाइए या अपना घर, I don"t care...
और हाँ मोहतरम, यदि ये सब नुस्खे भी नाकाफी हैं तो अभी भी मेरे पास एक और हकीम लुकमानी फर्मूला है, वह भी सुन ही लीजिए --
ऐसा है कि आप एक सिगरेट से प्यार करने लगिए, दूसरी अपने आप जलने लगेगी...
इंटरव्यू लेने वाला बाबला और बेजार हो गया...उसने चिल्ला कर स्टेनों को बोला -- अबे बाॅस के साले को मारो गोली !!!
नौकरी तो अपने Respected मसलुद्दीन साब को ही मिलेगी, बना Appointment Letter...
विवाह की बात हमेशा हिंदी में ही करना चाहिए...!!!
अंग्रेजी से जरा बच के रहे...!👇
1) लड़की वाले : बेटा क्या करते हो .???
😳लड़का : I am "Timber Merchant at Connaught Place Delhi Panchkuia Road "
लड़की वाले: बेटा वाह!
शादी के बाद पता चला वो
😭 *लड़का दातून बेचता है.!!!
ससुर जी कोमा में चले गए .!!!!
2) लड़की वाले : बेटा क्या करते हो...???
😲लड़का : I am "" Air diffusion fix and monitoring scientist ""
लड़की वाले : बेटा वाह !
शादी के बाद पता चला वो
😂 *लड़का पंचर बनाता है.!!!*
ससुर जी तीसरी मंजिल से 3 बार कूदने की कोशिश कर चुके हैं...!!!
😜😜🤗🤗
3) लड़की वाले : बेटा क्या करते हो...???
😲 लड़का I am ""chif executive in cleen india initiative and permanent member of स्वच्छ भारत अभियान...!!! ""
लड़की वाले : बेटा वाह !
शादी के बाद पता चला
😂 *लड़का इधर ही दो गली छोड़ के स्वीपर का काम करता है...!!!*
ससुर जी को आगरा ले जाने का प्रबंध किया गया है...!!!
😜😜🤗🤗
4) लड़की वाले : बेटा क्या करते हो...???
😲 लड़का : I run a ""start up product line includes organic mouth refreshner ""
लड़की वाले : बेटा वाह !
शादी के बाद पता चला 😂 *नुक्कड़ पे पान की दुकान है ...!!*
ससुरजी के प्राण पखेरू उड़ते उड़ते बचे...!!!
😜😜🤗🤗
5) लड़की वाले : बेटा क्या करते हो...???
😲 लड़का : l am ""Metallurgical amalgamation engineer""
😊शादी के बाद पता चला 😂*लड़का वेल्डर है..!!!*
ससुर जी चारों खाने चित्त हो गए...!!!
😜😜🤗🤗
लड़की वाले : बेटा क्या करते हो...???
😲लड़का : l am "" senior security and house keeping officer""
लड़की वाले : बेटा वाह !
😊शादी के बाद पता चला 😅 लड़का बिल्डिंग का चौकीदार है..!!!
ससुर जी गिर पड़े, फिर उठे नहीं...!!!
😜😜🤗🤗
हिन्दी राष्ट्र भाषा का उपयोग सही है ।
👍👍👍
कभी कभी मुस्कुरा भी लिया करो
🤣🤣🤣🤣😜 #हंसो हंसाओ #😆 हंसते रहो #
टीचर
ऑनलाइन क्लास के बाद :- कोई डाउट हो तो पूछ लो......??
.
.
.
.
.
बच्चा :-
जो कंधे पर पोंछा रखकर बीच में चाय देने आए थे,
वो आपके पति हैं क्या...??
😟⭕😷
मैथ टीचर ने एक बच्चे से सवाल पूछा :- मान लो तुम्हारी भैंस ने दूध नही दिया और तुम्हे घर आए मेहमानों को चाय पिलानी है तो क्या करोगे ... ?
बच्चा बोला ... जी बजार से दूध ले आंउगा ...
टीचर ( मुस्कुराते हुए ) :- वैरी गुड , अच्छा मान लो घर की भैंस का दूध पड़ता है बियालिस रुपये किलो , और बजार से मिलता है साड्डे बावन रुपये किलो ... तुमने दूध लिया डेढ़ पाव , और दूध वाले नें उसमें पैंसठ ग्राम पानी मिला रखा था ... तो बताओ तुम्हे कुल कितना नुक्सान हुआ ... ?
जवाब ना देने पर मास्टर ने उस बच्चे को धूप में मुर्गा बना दिया ...
अब दूसरे छात्र से वही सवाल पूछा ...
छात्र बोला जी अपणे ताऊ के घर तै दूध लिआऊंगा ...
टीचर बोला :- मान लो उनके घर भी दूध नही है तो ...
छात्र :- जी पड़ोस आली चाची तै दूध मांग लूंगा ...
टीचर चिढ़ के :- अगर उनके घर भी ना मिला तो ...
छात्र :- मास्टर जी सारे गाम मैं हांड जाउंगा दूध मांगण खातर , ना मिलया तो मेहमाना तै नींबू पाणी प्या दूंगा ... पर बजार तै मोल कोनी ल्यांऊ .... 😎
पिन ड्राप साइलेंस इन थे कोर्ट: सलमान: सिर्फ एक बार सुनो तो सही? जज: एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी … उसके बाद तो मैं खुद की भी नहीं सुनता! सलमान: सर में बेगुनाह हूं जज: ये तुम्ही कहते थे ना, शराब और खून मैं अपनी मर्ज़ी से पीता हूँ … दबाके! सलमान: सर…
अगर बॉलीवुड स्टार्स क्रिकेट में होते तो मैदान पर माहौल कुछ ऐसा होता:- अमिताभ:- हम जहां खड़े होते हैं, ‘क्रीज’ वहीं से शुरू होती है! शशि कपूर:- भाई तुम कैच देते हो या नहीं! अमिताभ:- जाओ पहले उनसे कैच मांगकर आओ, जिन्होंने मेरे एक ओवर में 6 छक्के मारे थे! गब्बर:- कितनी गेंदें थीं? कालिया:-…
एक बार एक ग्वालन दूध बेच रही थी और सबको दूध नाप नाप कर दे रही थी। उसी समय एक नौजवान दूध लेने आया तो ग्वालन ने बिना नापे ही उस नौजवान का बर्तन दूध से भर दिया।
वहीं थोड़ी दूर पर एक साधु हाथ में माला लेकर मनको को गिन गिन कर माला फेर रहा था। तभी उसकी नजर ग्वालन पर पड़ी और उसने ये सब देखा और पास ही बैठे व्यक्ति से सारी बात बताकर इसका कारण पूछा।
उस व्यक्ति ने बताया कि जिस नौजवान को उस ग्वालन ने बिना नाप के दूध दिया है वह उस नौजवान से प्रेम करती है। इसलिए उसने उसे बिना नाप के दूध दे दिया।
यह बात साधु के दिल को छू गयी और उसने सोचा कि एक दूध बेचने वाली ग्वालन जिससे प्रेम करती है तो उसका हिसाब नहीं रखती और मैं अपने जिस ईश्वर से प्रेम करता हूँ, उसके लिए सुबह से शाम तक मनके गिनगिन कर माला फेरता हूँ। मुझसे तो अच्छी यह ग्वालन ही है और उसने माला तोड़कर फेंक दिया।
यह बात हमारे जीवन के लिय भी प्रेरणादायक है। अगर हमें अपने ज्ञानदाता से प्रेम है तो हमें अनवरत सेवा, सतसं और साधना अभ्यास करना ही चाहिय क्योंकि जहाँ प्रेम होता है वहाँ हिसाब किताब नहीं होता है, और जहाँ हिसाब किताब होता है वहाँ प्रेम नहीं होता है, सिर्फ व्यापार होता है।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
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