कहानी सुनिए हमारे एडमिन भाईजी एवं आदरणीया श्रीमती भाभीजी की...🙄
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किस्सा तब का है जब भाईजी की नई-नई शादी हुई थी...🙂
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हुआ यूं था कि भाभीजी जहाँ-जहाँ जाती अपने भाईसाहब उनके पीछे-पीछे पहुंच जाते...🤗
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अब जैसे की भाभीजी बरतन धोती तो भैया उनके पीछे खड़े बर्तन सजाने लगते...😅
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यानी कि भाभीजी घर का कोई भी काम करतीं भाईजी उनके पीछे होते...
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इस तरह वे भाभीजी को एक सेकंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते...😂
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अब अपनी भाभीजी हो गईं परेशान...😀
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आगे हुआ यूँ कि भाभीजी के मायके से बुलाया आया की...😍
'बेटी एक बार मिलने आजा'
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पर भाभीजी भाईसाहब का क्या करें....😆
कैसे जाएं...😃
भाईजी तो उन्हें अकेला छोड़ते ही नहीं....😚
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तब भाभीजी ने एक आइडिया निकाला....😄
उन्होंने भइया से कहाँ...💁
"चलो जी आज हम छुप्पन-छुप्पआई खेलते है, तुम छुपो मैं तुम्हे ढूढूगी...!"
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बस भाईसाहब छुप गए और इधर भाभीजी ने तैयारी करी, अपना बक्सा उठाया...😝
और झटपट अपनी माँ के घर पहुच गईं....😘
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अपनी माँ के घर पहुँचकर बक्सा रखकर बोलीं...🤷
"चलो कुछ दिनों को छुटकारा तो मिला...😊
और ये कहकर जैसे ही उन्होंने बक्सा खोला...😛
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भइया बोले...😜
"धप्पा।।।"