ग्रुप का मतलब है, " गुरू + रूप " ना जाने कब किस का उपदेश, किस का प्रवचन, जीवन नैया पार लगा दे.
ग्रुप को मानो तो एक " रूह का रिश्ता " है, हम सभी का .. ना मानो तो " कौन " "क्या लगता " है, किसी का .
ये जो ग्रुप बनाए जाते हैं, सही मायनों में मन मिलाऐ जाते हैं...। बिखरे पड़े थे जो मोती इधर उधर, वे एक माला में पिरोये जाते हैं...।
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शुभ प्रभात